वायरलैस और करंट लैस विद्युत उपकरण ईजाद किया
छतरपुर। छतरपुर शहर के बस स्टेण्ड क्षेत्र स्थित कृष्णा कॉलोनी में रहने वाले 16 साल के एक छात्र ने अपनी जिज्ञासा और जुनून के दम पर ऐसा कमाल कर दिखाया है जो आज तक दुनिया में कोई नहीं कर सका। शीलिंग पब्लिक स्कूल में कक्षा 11वीं के छात्र आदित्य शिवहरे तनय केसी शिवहरे ने बिना तार और बिना करंट लगे विद्युत सप्लाई करने वाले अनूठे साइंस प्रोजेक्ट का निर्माण किया है। शहर के इस नन्हे न्यूटन के इस अविष्कार की खबर प्रधानमंत्री मोदी के कार्यालय तक पहुंच चुकी है और मोदी सरकार ने अपने प्रतिनिधियों को भेजकर उसके अविष्कार की जानकारी जुटाई है। शनिवार को आदित्य शिवहरे की मुलाकात कलेक्टर मोहित बुंदस के साथ भी हुई।
ये है अविष्कार जो अब तक दुनिया में कहीं नहीं हुआ
आदित्य ने बताया कि उसने एक ऐसे पावर सप्लाई प्रोजेक्ट का निर्माण किया है जिसमें विद्युुत को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाया जा सकता है। विद्युत की ये तरंगे मोबाइल तरंगों की तरह एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाती हैं और इस सप्लाई के दौरान न तो वायर का उपयोग करना पड़ता है और न ही सप्लाई ग्रहण कर रहे उपकरणों में किसी को करंट लगता है। इसके लिए आदित्य ने एक कॉपर वायर के बड़े टॉवर का निर्माण किया है इस टावर को प्रचलित बिजली से चालू किया जाता है और फिर टावर में लगा एक ट्रांसमीटर इस बिजली को हवा में विद्युत तरंगों की तरह फैला देता है। जिस उपकरण को ये विद्युत तरंगे ग्रहण करनी हैं उसमें एक रिसीवर लगाया जाता है यह रिसीवर ट्रांसमीटर से निकली विद्युत तरंगों को ग्रहण कर उपकरण तक बिजली पहुंचा देता है और उपकरण काम करने लगता है। आदित्य ने अपने घर में इस प्रोजेक्ट का संचालन करके मीडिया को दिखाया तो इस पर भरोसा हुआ।
अविष्कार बदल देगा दुनिया की दिशा
आदित्य का यह अविष्कार अगर उसके सपने की तरह बड़े रूप में कारगर साबित रहा तो यह बिजली सप्लाई के पुराने मापदण्डों को बदलकर दुनिया को एक नई दिशा में ले जाएगा। आदित्य का कहना है कि जो टावर उसने बनाया है यदि ऐसा एक विशाल टावर किसी शहर के बीचोंबीच लगा दिया जाए तो टावर में ट्रांसमीटर को लगाकर बगैर वायर से लोगों के घरों में लगे रिसीवर तक बिजली पहुंचाई जा सकती है। इस अविष्कार के जरिये करोड़ों रूपए का बिजली का तार तो बचेगा ही वायर के माध्यम से होने वाले 28 फीसदी बिजली के लॉस को भी रोका जा सकेगा। यही नहीं यह बिजली पूरी तरह शॉक फ्री होगी जिससे करंट से मरने वालों की संख्या शून्य हो जाएगी। उसने कहा कि वह फिलहाल इस प्रोजेक्ट से एलईडी बल्व को जला लेता है लेकिन अगर इस प्रोजेक्ट पर काम किया जाए तो इसे सभी उपकरणों को चलाने के काबिल बनाया जा सकता है।
मां डरती है कि बेटा पांच घंटे तक तारों में उलझा क्यों रहता है
आदित्य के पिता केसी शिवहरे एक प्रॉपर्टी डीलर हैं और उनकी मां विमला शिवहरे सामान्य गृहणी हैं। आदित्य की मां ने बताया कि जब बच्चे बाहर खेलते कूदते हैं या मनोरंजन करते हैं तब आदित्य सिर्फ अपने इसी प्रोजेक्ट पर लगा रहता है। वह पिछले तीन साल से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। रोजाना सुबह दो घंटे और रात को तीन घंटे तक वह छत पर बनाई खुद की लैब में तारों के बीच उलझा रहता है। कई बार उन्हें आदित्य की चिंता होती है लेकिन जब आदित्य के इस अविष्कार की तारीफें शुरू हुईं तब उन्हें बेटे के इस प्रोजेक्ट की बात समझ में आई।
ऐसे मिली थी प्रेरणा
आदित्य ने बताया कि लगभग तीन साल पहले उसने एक न्यूज पेपर में करंट लगने से एक व्यक्ति की मौत की खबर पढ़ी थी इसी खबर को पढ़ते समय उसके दिमाग में ख्याल आया कि शॉक फ्री बिजली सप्लाई कैसे की जा सकती है। इसी ख्याल को लेकर उसने इंटरनेट पर रिसर्च किया तो उसे साईबेरिया के एक वैज्ञानिक टेसला की खोज का पता लगा। एक किताब के जरिये उसने टेसला के अविष्कार को पढ़ा तो उसे पता लगा कि उन्होंने वायर लैस बिजली का निर्माण तो कर लिया था लेकिन वे शॉक फ्री बिजली नहीं बना सके। उन्हीं के छूटे हुए अविष्कार को आदित्य ने पूरा करने की ठान ली। शीलिंग पब्लिक स्कूल में मैथ के स्टूडेंट आदित्य ने घर के ऊपरी हिस्से में एक लैब बनाई और पिछले तीन साल से इस प्रोजेक्ट पर काम किया। आदित्य ने बताया कि वह लगभग 1500 बार इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में नाकामयाब रहा। कई बार असफल होने के बाद उसे निराशा हुई लेकिन उसने इस प्रोजेक्ट को छोड़ा नहीं। आखिरकार तीन महीने पहले उसने इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया। जब उसने इसकी जानकारी पीएमओ को भेजी तो मोदी कार्यालय से उसे एक प्रशस्ति पत्र आया और बिजली विभाग की एक टीम ने उससे मुलाकात की। अब कलेक्टर मोहित बुंदस ने भी उसे बातचीत के लिए बुलाया है।
परिवार ने कहा सरकार करे मदद
आदित्य की मां विमला शिवहरे और उसके पिता केसी शिवहरे ने कहा कि उनके पास बेटे को सामान्य शिक्षा देने की क्षमता है लेकिन वह वैज्ञानिक बनना चाहता है। यदि सरकार उसे किसी तरह की स्कॉलरशिप या सहयोग दे तो वह अपने इस सपने को पूरा कर सकता है
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Milan Tomic

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